खुशी का एक अंतहीन प्रयास में, हर व्यक्ति अपने जीवन को एक सभ्य जीवन बनाने और अपने परिवार के लिए पर्याप्त संपत्ति छोड़ने के लिए बहुत कठिन परिश्रम करके पर्याप्त पैसा कमाता है। एक वसीयत को इच्छापत्र भी कहा जाता है, यह एक कानूनी दस्तावेज है जो एक व्यक्ति की संपत्ति को वितरित करने की अंतिम इच्छा बताता है। यह कानूनी रूप से बाध्यकारी है और पंजीकृत होने पर यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति की अंतिम इच्छाएं पूरी हो।
अधिकांश लोग अपनी संपत्ति, धन और अन्य मूल्यवान संपत्तियों के मरनोप्रांत निपटान और वितरण के दिशानिर्देशों को छोड़ने के लिए एक वसीयत तैयार करते हैं।
धन और संपत्ति के मामले में लाभ प्राप्त करने वाला व्यक्ति लाभार्थी है और, एक लाभार्थी व्यक्ति को वसीयत करने वाले व्यक्ति ही चुन सकता है| एक लाभार्थी, वसीयत से उत्पन्न लाभों का आनंद लेने वाला व्यक्ति हो सकता है, हालांकि, कुछ व्यक्तियों को स्वतः वसीयत के लाभों का आनंद लेने का अधिकार दिया गया है।
एक लाभार्थी को नियुक्त करना, भविष्य के लिए वसीयतकर्ता और उसके साथ जुड़े लोग, दोनों के लिए आधारभूत आधार बनाने का एक अनिवार्य हिस्सा है। यद्यपि, यह अनिवार्य नहीं है, एक लाभार्थी का नाम नहीं देने से प्रोबेट प्रक्रिया के माध्यम से संपत्ति का वितरण हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उसके निधन के बाद व्यक्ति की परिसंपत्तियों का वितरण उलझन की स्तिथि बना सकता है। प्रोबेट प्रक्रिया में, परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति के अधिकार के अनुसार संपत्ति वितरित की जाती है। इसलिए, उचित होगा की वसीयत में लाभार्थी का उल्लेख हो ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वसीयत में लिखित लाभ का विभाजन सही हो और लोगों के बीच ठीक से साझा उसी प्रकार किया जाए, जिस तरह वसीयत कर्ता संपत्ति को स्थानांतरित करना चाहता हैं। वसीयत में लाभार्थी को नामांकित करने के बाद, यह उचित होगा कि आप अपनी वसीयत को पंजीकृत करे|
परिवार के सदस्य
पति / पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन आदि सहित कोई भी परिवार का सदस्य, चाहे अकेले रहने वाले या अलग रहने वाले, एक लाभार्थी हो सकता है, भले ही परिवार देश के विभिन्न हिस्सों में रहता हो| हालांकि, परिवार के किसी सदस्य को लाभार्थी बनाने की कोई सीमा नहीं है, चाहे वो दुनिया में कहीं भी रहता हो| यह तब निष्पादक की जिम्मेदारी है कि लाभार्थी का पता लगाना, और यह सुनिश्चित करना कि उन्हे वसीयत में आलेखित उनकी विरासत प्राप्त हो।
बच्चे
एक बच्चा भी वसीयत में एक लाभार्थी हो सकता है, भले ही बच्चा नाबालिग हो| हालांकि, जब बच्चा नाबालिग (18 वर्ष से कम उम्र के) हो तो विरासत को केवल स्थानांतरित किया जा सकता है, और सीधे प्राप्त नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए, जब एक नाबालिग बच्चे को लाभार्थी बना दिया जाता है तो उसे 18 साल की आयु प्राप्त करने के बाद ही इसका लाभ मिलेगा।
दोस्त
एक मित्र भी लाभार्थी हो सकता है क्योंकि लाभार्थी का किसी भी तरह से वसीयतकर्ता से संबंधित होने का कोई नियम नहीं है। यह आजकल एक आम बात है, चूँकि, दोस्त चुने गए परिवार हैं और परिवार होना व्यवहार द्वारा निर्धारित किया जाता है, रक्त द्वारा नहीं।
अन्य लोग
इसके अलावा, लाभार्थी को एक व्यक्ति होना ज़रूरी नहीं है| लाभार्थी एक संगठन, मंदिर, चर्च, दानी-संस्था, स्कूल, समुदाय समूह, सामाजिक समूह, अस्पताल या यहां तक कि छात्रवृत्ति भी हो सकती है।